Wednesday, 1 March 2017

संघर्ष ही इन्सान को जीना सिखाता है

एक बार एक अध्यापक बच्चों को कुछ सीखा रहे थे। *उन्होंने एक छोटे बरतन में पानी भरा और उसमें एक मेंढक को डाल दिया। *पानी में डालते ही मेंढक आराम से पानी में खेलने लगा। *अब अध्यापक ने उस बर्तन को गैस पर रखा और नीचे से गर्म करना शुरू किया*।
*जैसे ही थोड़ा तापमान बढ़ा तो मेंढक ने अभी अपने शरीर के तापमान को थोड़ा उसी तरह adjust कर लिया। *अब जैसे ही बर्तन का थोड़ा तापमान बढ़ता तो मेंढक अपने शरीर के तापमान को भी उसी तरह *adjust कर लेता और उसी बर्तन में मजे से पड़ा रहता*।
*धीरे धीरे तापमान बढ़ना शुरू हुआ, *एक समय ऐसा भी आया जब पानी उबलने लगा और अब मेंढक की क्षमता जवाब देने लगी। *अब बर्तन में रुके रहना संभव ना था। *बस फिर क्या था मेंढक ने बर्तन से बाहर निकलने के लिए छलांग लगायी लेकिन अफ़सोस ऐसा हो ना सका। *मेंढक अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद उस पानी से भरे बर्तन से नहीं निकल पा रहा था क्यूंकि *अपने शरीर का तापमान adjust करने में ही वो सारी ताकत खो चुका था*।
*कुछ ही देर में गर्म पानी में पड़े पड़े मेंढक ने प्राण त्याग दिए*।
*अब अध्यापक ने बच्चों से पूछा कि मेंढक को किसने मारा तो कुछ बच्चों ने कहा – गर्म पानी ने*……
*लेकिन अध्यापक ने बताया कि मेंढक को गर्म पानी ने नहीं मारा बल्कि वो खुद अपनी सोच से मरा है। *जब मेंढक को छलांग मारने की आवश्यकता थी *उस समय तो वो तापमान को adjust करने में लगा था उसने अपनी क्षमता का प्रयोग नहीं किया लेकिन जब *तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया तब तक वह कमजोर हो चुका था*।
*मेरे दोस्त यही तो हम सब लोगों के जीवन की भी कहानी है। *हम अपनी परिस्थितियों से हमेशा समझौता करने में लगे रहते हैं। *हम परिस्थितियों से निकलने का प्रयास नहीं करते उनसे समझौता करना सीख लेते हैं *और सारा जीवन ऐसे ही निकाल देते हैं और जब *परिस्थितियां हमें बुरी तरह घेर लेती हैं तब हम पछताते हैं* *कि काश हमने भी समय पर छलांग मारी होती*।
*अच्छी बुरी हर तरह की परिस्थितियां इंसान के सामने आती हैं लेकिन आपको परिस्थितियों से समझौता नहीं करना है। *बहुत सारे लोग बुरी परिस्थितियों को अपना भाग्य मानकर ही पूरा जीवन दुखों में काट देते हैं। *बहुत अफ़सोस होता है कि *लोग समय पर छलांग क्यों नहीं मारते*

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