ये कहाणी मेरे LIC अभिकर्ता मिटिंग मे मेरे विकास अधिकारी आदरणीय फडणीस सर के स्पीच मे 6-7 साल पहले सुनी है जो मुझे आज भी inspire करती है।
एक राज्य था वहा पर हर साल राजा चुना जाता था। उस दिन राज्य के सभी नौजवान राज दरबार के ग्राउंड पर जमा होते थे । उस भीड मे हाथी जिसके गले मे हार डालता प्रजा उसे राजा मानती थी । ये प्रथा बहोत सालो से उस राज्य मे चालू थी। हर साल हाथी भीड मे से राजा चूनता और वो एक साल के लिये राजा उस राज्यपर राज करता।
एक साल बाद उस राजा को राज्य के बाहर समुद्र के उस पार घने जंगल मे छोडा जाता । उस जंगल के जानवर उसे खाकर मार डालते।
एक साल ऐसेही एक नौजवान के गले मे हाथी ने हार डाली और वो राजा बना। एक साल पुरा होणे के बाद वो राजा पुरे राज्य मे रथ पर बैठकर प्रजा को हाथ हिलाकार तो कभी हाथ जोड जर प्रजा का धन्यवाद मानकर जा राहा था। उस राज्य मे ऐसा पहली बार हुवा की राजा को बगैर सलाखों मे बांधते हुवे अपनी जान की भीक मांगणे की बजायअपनी जान की पर्वा न करते हुवे राजा हसिखुशी से सबको अलविदा कर राहा था । सारी जनता आच्छर्य चकित होकार अलविदा कर रही थी सबके मन मे प्रश्न था पर किसिने भी पुच्छने की हिम्मत नही की।
राज्य के बाहर जाणे के बाद समंदर मे जहाज मे बैठे उस जहाज चलाने वाले ने राजा को पुछा महाराज माफ करना लेकींन मेरे मन मे एक सवाल है , जो नजारा आज मै देख रहा हूं मुझे मेरे आखों पर यकीन नही हो राहा है। इतने सालों से मैं हर साल एक नये राजा को समंदर किनारे छोडने का काम कर राहा हूं इस जहाज पर बैठा हर राजा अपनी जान की भीक मांगता, रोता, पैर पडते हुवे अपनी जान बचाने भीक मांगता पर आप तो खुशी से जा रहे हो ऐसा क्यों?
इस प्रश्न से राजा हसणे लगा और बोलणे लगा की, आज तक जितने भी राजा बने उन सबको पता था की मेरी जिंदगी सिर्फ एक साल की है एक साल के बाद इस जंगल मे मुझे छोड कर इस जंगल के जानवर खा जायेंगे इसी लिये वो सभी राजा एक साल तक सिर्फ दारू , नशा, नाचगाणा, खाणे पिणे मे बिताए और आखरी दिन मौत की डर से रोने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नही था।
किसीं ने भी उस राजा होणे का फायदा नही उठाया या सोचा भी नही की , मैं एक साल का राजा जिंदगी भर राजा बन कर जीउंगा लेकींन मैने सोचा और जैसेंही मैं राजा बना उसके दुसरे दिन ही मैने समंदर के उस पार सैनिक भेजे जंगल साफ करवाया। महल बनवाणे के लिये कारागीर भेज कर महल बनवाया । मेरे रिषतेदारो को भेजा उनके लिये भी मकान बनवाये । मेरे चाहने वालो को भेजा उनकी भी रहणे की व्यवस्था की व्यापारी को भेजा कीसानो को भेजा । एक राज्य मे जीस तराह की व्यवस्था होती है वैसी व्यवस्था कराई और उस राज्य को मैने सुजलाम सुफलाम बणाया।
राजा ने कहा मै आज मरणे के लिये नहीं , मै एक राज्य से दुसरे राज्य मे राज करणे के लिये राजा बन कर जा राहा हूं ।
ज्यादातर लोग ये ही सोच कर अपनी जिंदगी बीताते है। , चान्स मिल्ने के बाद भी ऐश आराम, नया कुछ ना करते हुवे वो ही रुटीन मे जिंदगी जितें है जैसे बाकी लोग जितें है। अपनी जिंदगी बनाना है बडे सपणे को पुरा करना है तो उस राजा जैसे सोच रखना होगा जो एक राजा होते हुवे भी उसने अपने नये राज्य का निर्माण किया और जिंदगी भर के लिये राजा बना । बहाणे ना बनाते हुवे जिंदगी जियो डटकर मुसीबतो का सामना करो अपने सपणे पुरे करो सफलता आपके कदम चुमेगी।
धन्यवाद फडणीस सर इस कहाणी की वजह से लाख मुसीबतो का सामना करते हुवे मै जी राहा हूं एक ना । एक दिन सफलता मेरे कदम चुमेगी।
कहाणी अच्छि लगे तो कॉमेंट जरूर करना।
Friday, 26 May 2017
छोटी सी कहाणी बडा सबक
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