Thursday, 2 February 2017

आँखे खोलो और आगे बढो

*मंदिर में चोरी हो गई  सुबह सारे पुजारियों ने रोना धोना मचा रखा था.......*
लोगों की भीड़ लगी थी भीड़ को चीरते हुए एक आदमी पुजारियों के पास पहुंच गया.......

*आदमी बोला:-*  क्या हो गया पुजारीजी..... ?
*पुजारी ने कहा:-*  घोर कलयुग आ गया है, भगवान के
भी पैसे नहीं छोड़े चोरों ने थाने में रिपोर्ट करनी पड़ेगी, थाने को जलाना पड़ेगा, उग्र आंदोलन करना पड़ेगा.......
*आदमी:-*  पुजारीजी, पैसे तो भगवान के चोरी हुए हैं, तुम क्यों रिपोर्ट करने जा रहे हो ? भगवान स्वयं करेंगे........
*पुजारी* ... "चोरों ने गलत किया है."
*आदमी* ... "कर्म प्रधान है. चोरों ने तो कर्म किया है. सही गलत तो भगवान तय करेगा."
*पुजारी* ...  "नहीं, चोरी करना गलत है. ये भगवान का अपमान है."
*आदमी* ...  "नहीं, ये काम भगवान ने ही करवाया है.  क्योंकि भगवान की
मर्जी के बिना तो पत्ता भी नहीं  हिलता."
*पुजारी* ... "लेकिन इस जघन्य अपराध के लिए चोर को दंड देना अनिवार्य है."
*आदमी* ... "हम क्या लेकर आये थे,  हम क्या लेकर जायेंगे ? हम कौन होते हैं किसी को दंड देने वाले. जो कुछ करता है, सब ऊपर वाला करता है."
*पुजारी* ... "ज्ञान, ज्ञान की जगह है. हमे तो हमारा पैसा चाहिए ... बस."
*आदमी* ... "तो ये बोल कि तुझे तेरे पैसे चाहिएं. फिर भगवान को क्यूं बदनाम कर रहा है ... अपने इस धन्धे के लिए......... ?
*आँखे खोलो ओर आगे बड़ो*
अपना पैसा केवल जरूरत मन्द
        लोगो को दान करो
       *जनहित में जारी*

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