हर किसी के लाइफ में ऐसा समय आता है,जब उसे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को उधार देने पड़ता है। कई बार आपका यह कदम आपको परेशानी में भी डाल देता है। ऐसे में हम आपको यह बता रहे हैं, कि दोस्तों, रिश्तेदारों को उधार देते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जिससे आने वाले समय में आपको किसी तरह की परेशानी नहीं हो।
किस तरह के लोग लेते हैं उधार
इस तरह का उधार आपके रिश्तेदार, खास दोस्त, ऑफिस के साथी लेते हैं। जो किसी जरूरत के समय रकम लेते हैं। ये रकम वह बैंक से पर्सनल लोन के रुप में न लेकर आप से लेते हैं। इसका उन्हें यह फायदा होता है, कि इस तरह के उधार पर उन्हें न तो कोई ईएमआई चुकानी होती है, न ही कोई इंटरेस्ट चुकाना पड़ता है।
सबसे पहले उधार देते समय यह जरूर समझना चाहिए, कि उधार की रकम एक लोन की तरह ही होती है। यानी उसे भी एक लोन के रुप में ही आपको लेना चाहिए।जैसे बैंक लोन देते वक्त कस्टमर से लोन का पीरियड, इंटरेस्ट रेट , ईएमआई तय करते हैं। वैसे ही आप भले ही इंटरेस्ट न ले लेकिन उधार देते वक्त उसे वापस मिलने की अवधि जरूर तय करें।आपके उधार दी गई रकम इनकम टैक्स के दायरे में भी आ सकती है। ऐसा इसलिए होता है, कि जब रकम आपको वापस मिलती है, तो वह इनकम के रुप में आपकी चूक के कारण मान ली जाती है।
जब भी हम अपने किसी करीबी को उधार देते हैं, तो वह कैश के रुप में ही अधिकतर दी जाती है। साथ ही उसके लिए कोई डॉक्युमेंटेशन नहीं किया जाता है। ऐसे में जब आपके द्वारा दी गई उधार की रकम वापस मिलती है, तो वह बैंक में ही आप डिपॉजिट करते हैं। बैंक इस रकम को आपकी इनकम के रुप में ट्रीट करता है। उस पर इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक उस पर मिले इंटरेस्ट को आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार काटा जाता है।
. इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक अगर आप बैंक में डिपॉजिट रकम पर सालाना 10 हजार रुपए से ज्यादा का इंटरेस्ट लेते हैं, तो अतिरिक्त इंटरेस्ट टैक्सेबल हो जाता है।
. ऐसे में आपकी पहले से बैंक में पड़ी हुई रकम टैक्सेबल हो जाती है।
उधार की रकम टैक्सेबल न हो जाए इससे बचने के लिए आईटीआर फाइल करते वक्त उसे आप लोन कैटेगरी में डाल सकते हैं।
. आपने लोन दिया है यह साबित करने के लिए जरूरी है कि आपके पास प्रूफ हो। इसके लिए जब आप उधार देने जा रहे हैं, तो उसका डॉक्यमुटेंशन कराएं, यानी स्टैम्प पेपर पर उधार की डिटेल और उसके तहत चुकाने की पीरियड आदि की डिटेल डालें।
आपने किसी को उधार दिया है, इसको साबित करने के लिए आप दो तरीके आसानी से अपना सकते हैं। इसके तहत आप जब भी रकम अपने करीबी को दे, तो उसे चेक के जरिए दे।
.दूसरा तरीका यह है कि रकम को ऑनलाइन ट्रांसफर करें। ये दो तरीके हमेशा डॉक्युमेंटेंड रहेंगे। ऐसे में किसी विशेष परिस्थिति में आपको साबित करना पड़े तो आसानी से साबित कर सकेंगे।
.इसके अलावा कई बार हम उधार देते वक्त दोस्त या रिश्तेदारी की गुजारिश उस रकम के बारे में अपने परिवार को नहीं बताते हैं। ऐसा कभी न करे, अपने परिवार को जरूर इस बारे में बताएं, कि आपने किस व्यक्ति को उधार दिया है, साथ ही कितनी रकम दी है। इसके तहत अपने परिवार को चेक डिटेल, फंड ट्रांसफर डिटेल और स्टॉम्प पेपर आदि की डिटेल दे सकते हैं।
आज के दौर में हर किसी के ऊपर कई सारी जिम्मेदारियां होती है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति को उधार देने से पहले यह जरूर देखे कि आप उधार देने में सक्षम है या नहीं। यानी आप किसी दबाव में तो उधार नहीं दे रहे हैं।
.इसके लिए सबसे पहले अपने खर्चों को चेक करें। इसमें आप अपनी ईएमआई, बच्चों की स्कूल फीस , रोजमर्रा के खर्चों के साथ-साथ इमरजेंसी के समय होने वाले खर्च का आकलन जरूर करें। इसके बाद ही बची रकम के आधार पर उधार देने का फैसला करें।
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